96 Kuli Maratha surname list with Gotra in Hindi

96 Kuli Maratha surname list with Gotra in Hindi!

96 Kuli Maratha surname list with Gotra in Hindi!

96 कुळी मराठा या Shahānnau Kule मराठा समुदाय की पारंपरिक क्लान (clan) प्रणाली है, जिसमें 96 प्रमुख कुळ/क्लान माने जाते हैं। विद्वानों के अनुसार, इन सूचियों के कई संस्करण 19वीं शताब्दी में संकलित हुए और आपस में भिन्न पाए जाते हैं—यानी “एक” अंतिम अधिकृत सूची नहीं है; समय, क्षेत्र और परिवार परंपराओं के अनुसार बदलाव मिलते हैं। इसलिए, इस लेख में दी गई सूची नमूना (illustrative) के रूप में प्रस्तुत की जा रही है, और विश्वसनीय स्रोतों के आधार पर संदर्भ दिए गए हैं।

96 Kuli Maratha प्रणाली का संक्षिप्त इतिहास

मराठा क्लान प्रणाली में कुल 96 कुळों का उल्लेख मिलता है—जिन्हें कभी-कभी सूर्यवंशी/चंद्रवंशी/ब्राह्मवंशी/शेषवंशी (या समीपस्थ वंश) समूहों की दृष्टि से भी समझाया गया है। अलग-अलग ग्रंथ/सूचियाँ अलग उपसमूह और वंशपरंपराएँ दिखाती हैं; यही कारण है कि उपनाम और गोत्र के मिलान में क्षेत्रीय विविधता मिलती है।

गोत्र, देवक और विवाह संदर्भ

हिंदू परंपरा में गोत्र पितृवंशीय पहचान (ऋषि-परंपरा) से जुड़ा होता है और कई समुदाय इसे विवाह-नियमों में भी मानते हैं (समान गोत्र में विवाह से परहेज़)। मराठा समुदाय में जहाँ-जहाँ गोत्र परंपरा प्रचलित है, वहाँ देवक (कुल प्रतीक/वनस्पति/चिह्न) का भी व्यवहार दिखता है। ऑनलाइन डिरेक्टरी और समुदाय पोर्टल्स विभिन्न उपनाम-गोत्र-देवक का संकलन प्रस्तुत करते हैं, जिनमें क्षेत्रीय भिन्नताएँ स्वाभाविक हैं।

(नमूना) 96 कुळी मराठा उपनाम व गोत्र: चुनिंदा प्रविष्टियाँ

नोट: अलग-अलग स्रोत/क्षेत्रों में गोत्र-मिलान बदल सकता है। नीचे दी गई प्रविष्टियाँ केवल संदर्भ हेतु हैं; परिवार/समुदाय के अधिकृत अभिलेख को प्राथमिक मानें।

  • जाधव/यादव — प्रचलित गोत्र संदर्भ: कौंडिन्य/अत्रि; कई उपशाखाएँ क्षेत्रानुसार मिलती हैं।
  • मोर/मोरे — उपशाखाएँ: मोरे, देवकाते, मधुरे आदि; गोत्र क्षेत्रानुसार भिन्न।
  • पवार (परमार) — अक्सर वशिष्ठ या संबंधित ऋषि-गोत्र संदर्भ; देवक “कळंब/धारेची तलवार” जैसे संकेत मिलते हैं।
  • शिर्के (राजेशिर्के) — कुछ कॉन्कणसूची में Vahyagra/जाबल्य (जमदग्नि) जैसे संदर्भ मिलते हैं।
  • सुरवे (राणे/राना वंश संदर्भ) — जमदग्नि इत्यादि का उल्लेख; क्षेत्रीय विविधता संभव।
  • खानविलकर, पाटिल, कदम, राणे, सावंत — कई सूचियों में उपकुळ/उपनाम के रूप में; गोत्र भिन्न-भिन्न।
  • भोसले — कुछ सूचियों में कौशिक/“पंचपल्लव” देवक जैसा संदर्भ दिखता है।
  • निकम — पराशर/“मान्यव्य/कळंब/उंबर/वेळू” जैसी देवक-संकेत सूचनाएँ मिलती हैं।
  • थोरात, फडतरे, फाटक, पिंगळे, नाईक — गोत्र/देवक संदर्भ: भारद्वाज/कश्यप/वशिष्ठ/कौशिक आदि; सूचियों में अंतर संभव।
  • दाभाडे, दळवी, भोईटे — कई समुदाय पोर्टल्स/ब्लॉग सूचियों में आवृत्तियाँ; उपशाखाएँ भिन्न।

विस्तृत एवं बड़ी समेकित सूचियाँ (हज़ारों उपनाम प्रविष्टियों तक) सामुदायिक पोर्टल/डायरेक्टरी पर मिलती हैं—परंतु उनकी आधिकारिकता भिन्न हो सकती है। हमेशा परिवार/समुदाय के बुजुर्गों, कुल-दस्तावेज़ या पंजीकृत संस्थाओं से पुष्टिकरण लें

डिजिटल युग में 96 कुळी संदर्भ कैसे बदल रहे हैं?

  • सूची विविधता: शैक्षणिक/लोकप्रिय स्रोत बताते हैं कि 96-कुळ की तीन प्रमुख सूची (और कई स्थानीय रूपांतर) प्रचलित हैं; आपसी अंतर सामान्य है।
  • ऑनलाइन डायरेक्टरी: वेबसाइट/ब्लॉग/फोरम पर बड़ी-बड़ी सूचियाँ उपलब्ध हैं—पर इनमें कभी-कभी असंगति या दोहराव मिलता है। सत्यापन आवश्यक।
  • शोध/संदर्भ-गाइड: विकिपीडिया जैसे स्रोत ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य देते हैं, मगर स्थानीय अभ्यास में सूक्ष्म भिन्नताएँ बनी रहती हैं।

व्यावहारिक उपयोग: विवाह/वंशावली में सावधानियाँ

  • परिवार-दस्तावेज़ प्राथमिक — वंशावली/कुल-दाखिला/समुदाय-पुस्तक को आधार बनाइए।
  • दो-तीन स्रोत मिलान — ऑनलाइन सूची, स्थानीय सभा और पंडित/कुलगुरु से तिहरा सत्यापन करें।
  • क्षेत्रीय विविधता मानें — कोंकणस्थ, पश्चिम महाराष्ट्र, विदर्भ, कर्नाटक सीमांत—हर क्षेत्र में रूपांतर मिल सकते हैं।
  • देवक/कुलदेवता परंपरा — कई परिवार देवक/कुलदेवता के आधार पर भी पहचान बनाए रखते हैं; यह भी विवाह निर्णय में संदर्भ बनता है।

FAQ

Q1. क्या 96 कुळी की एक “आधिकारिक/अविचल” सूची है?
A. शैक्षणिक स्रोत बताते हैं कि कम से कम तीन संकलित सूची-परंपराएँ हैं और वे आपस में भिन्न हैं; इसलिए एकीकृत “एक” सूची व्यावहारिक नहीं।

Q2. क्या उपनाम से गोत्र तय हो जाता है?
A. नहीं—उपनाम, उपकुळ, गोत्र और देवक का तालमेल परिवार/क्षेत्र/परंपरा पर निर्भर करता है। क्रॉस-वेरिफिकेशन ज़रूरी है।

Q3. क्या ऑनलाइन सूची भरोसेमंद है?
A. उपयोगी संकेत मिलते हैं, पर प्राथमिक प्रमाण परिवार/समुदाय के आधिकारिक रेकॉर्ड ही हैं। ऑनलाइन प्रविष्टियाँ संदर्भ मात्र समझें

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निष्कर्ष

96 कुळी मराठा परंपरा समुदाय-इतिहास, वंश और सांस्कृतिक पहचान की समृद्ध कड़ी है। किंतु सूची-भिन्नता, क्षेत्रीय रूपांतर और परिवार-परंपरा के कारण उपनाम–गोत्र का सटीक मिलान हमेशा स्थानीय सत्यापन माँगता है। इस लेख का उद्देश्य आपको विश्वसनीय संदर्भ-बिंदु देना है—ताकि आप अपने कुल/गोत्र को समझते हुए पारिवारिक/समुदाय-दस्तावेज़ के साथ सही निर्णय ले सकें।

संदर्भ/स्रोत

  • Maratha clan system (विकि): ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सूचियों का वैविध्य।
  • “The 96 Clans of Marathas”: पारंपरिक सूचियों/उपनाम-उदाहरणों के लिए।
  • समुदाय पोर्टल (कुल/देवक/गोत्र डिरेक्टरी): क्षेत्रीय/देवक संदर्भ।

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