वर्तमान में भारत का उप राष्ट्रपति कौन है? Bharat ke Uprashtrapati kaun hai 2023 | Who is the Vice President of India 2023 in Hindi?
क्या आप भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति के बारे में जानने को उत्सुक हैं? क्या आप खुद को भारत का उप राष्ट्रपति कौन है 2023 के बारे में पूरी जानकारी खोजते हुए पाते हैं? खैर, अब और मत देखो क्योंकि यह लेख आपको वह सारी जानकारी प्रदान करने के लिए है जिसकी आपको आवश्यकता है।
चाहे आप उपराष्ट्रपति का नाम जानने में रुचि रखते हों या उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जानना चाहते हों। तो अपनी जिज्ञासा को संतुष्ट करने के लिए पढ़ते रहें और भारतीय राजनीति में नवीनतम घटनाओं से अपडेट रहें।
भारत के उप राष्ट्रपति का परिचय
भारत में राष्ट्रपति के बाद उप राष्ट्रपति का पद कार्यकारिणी में दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। भारत का उप राष्ट्रपति राज्यसभा के अध्यक्ष के तौर पर विधायी कार्यों में भी हिस्सा लेता है।
उपराष्ट्रपति का राज्य सभा का पदेन सभापति होना – उप राष्ट्रपति, राज्य सभा का पदेन सभापति होते हैं और अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करते हैं। लेकिन जिस किसी अवधि के दौरान उपराष्ट्रपति, अनुच्छेद 65 के अधीन राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है या राष्ट्रपति के कृत्यों का निर्वहन करते है, उस अवधि के दौरान वह राज्य सभा के सभापति के पद के कर्तव्यों का पालन नहीं करेगा और वह अनुच्छेद 97 के अधीन राज्य सभा के सभापति को संदेय वेतन या भत्ते का हकदार नहीं होगा।
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद देश के राष्ट्रपति के उपराष्ट्रपति के रूप में होता है। उपराष्ट्रपति की कार्यक्षमता, नैतिकता, और नेतृत्व के कारण वे एक महत्वपूर्ण नागरिक पद के पात्र होते हैं।
भारत के उप राष्ट्रपति की सूची (1950- 2023)
भारत के Uprashtrapati का list निचे टेबल में कर्मबध दिया गया है
SL | उपराष्ट्रपति | पदग्रहण | पदमुक्ति | राष्ट्रपति |
1 | सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 13 मई 1952 | 12 मई 1962 | राजेन्द्र प्रसाद |
2 | जाकिर हुसैन | 13 मई 1962 | 12 मई 1967 | सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
3 | वी वी गिरी | 13 मई 1967 | 3 मई 1969 | जाकिर हुसैन |
4 | गोपाल स्वरूप पाठक | 31 अगस्त 1969 | 30 अगस्त 1974 | वी वी गिरी, फ़ख़रुद्दीन अली अहमद |
5 | बी. डी. जत्ती | 31 अगस्त 1974 | 30 अगस्त 1979 | फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, नीलम संजीव रेड्डी |
6 | मोहम्मद हिदायतुल्ला | 31 अगस्त 1979 | 30 अगस्त 1984 | नीलम संजीव रेड्डी, ज्ञानी जैल सिंह |
7 | रामस्वामी वेंकटरमण | 31 अगस्त 1984 | 27 जुलाई 1987 | ज्ञानी जैल सिंह |
8 | डॉ. शंकर दयाल शर्मा | 3 सितम्बर 1987 | 24 जुलाई 1992 | रामस्वामी वेंकटरमण |
9 | के आर नारायणन | 21 अगस्त 1992 | 24 जुलाई 1997 | डॉ. शंकर दयाल शर्मा |
10 | कृष्ण कान्त | 21 अगस्त 1997 | 27 जुलाई 2002 | के आर नारायणन, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम |
11 | भैरोंसिंह शेखावत | 19 अगस्त 2002 | 21 जुलाई 2007 | डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम |
12 | मोहम्मद हामिद अंसारी | 11 अगस्त 2007 | 19 जुलाई 2017 | प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी, राम नाथ कोविन्द |
13 | वेंकैया नायडू | 8 अगस्त 2017 | 11 अगस्त 2022 | राम नाथ कोविन्द |
14 | जगदीप धनखड़ | 11 अगस्त 2022 | अब तक | द्रौपदी मुर्मू |
वर्तमान में भारत का उप राष्ट्रपति कौन है?
दोस्त आप को बता दे कि वर्तमान में हमारे देश भारत के 14वें उपराष्ट्पति श्री जगदीप धनखड़ हैं। उन्हें 11 अगस्त 2022 को भारत के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में नियुक्त किया गया है। वे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सार्वजनिक व्यक्ति हैं, जो देश के नेतृत्व के महत्वपूर्ण पद पर कार्य कर रहे हैं। उनके पूर्व कार्यकाल में वे एक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे हैं और वे भारतीय संविधान के मूल आदर्शों के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं।
श्री जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति के पद पर आगमन देश के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। उनका चयन भारतीय संविधान के अनुसार हुआ है और वे अपने पद के लिए उच्च गुणवत्ता और योग्यता के साथ प्रस्तुत हुए हैं। उन्होंने अपने पूर्व उपाधियों की तरह भी देश के उन्नति और समृद्धि के मार्ग में अपना सहयोग दिया है।
जगदीप धनखड़ जी का जीवन प्रेरणास्त्रोत है, जिन्होंने अपने सफल करियर में महत्वपूर्ण दर्जों को हासिल किया है। उनकी कठिनाइयों और परिश्रम के माध्यम से वे ने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्धता दिखाई है।
उनके पदभार का मुख्य उद्देश्य देश के सामाजिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक विकास में सहायता करना है। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान शिक्षा, स्वास्थ्य, और गरीबी उन्मूलन के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया है।
उपराष्ट्पति के रूप में, उन्होंने देश के विकास को सुनिश्चित करने के लिए अपने पद की महत्वपूर्ण भूमिका का सहारा दिया है। उनका संघर्ष और समर्पण देश के उच्चतम हित की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
समापन में, श्री जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्पति के पद पर नियुक्ति से हमारे देश को एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने का एक और कदम मिला है। उनका समर्पण और कठिनाइयों का सामना करने का तरीका हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रतिबद्ध रहें।
भारत का उप राष्ट्रपति के पद की भूमिका
भारतीय संविधान में उपराष्ट्रपति का पद एक महत्वपूर्ण और गरिमापूर्ण पद है। यह पद देश के नागरिकों के लिए गर्व का स्रोत है और उपराष्ट्रपति द्वारा निभायी जाने वाली भूमिका व्यापकता और गहराई से होती है।
उपराष्ट्रपति का पद भारतीय संविधान के साथी 63 के तहत स्थापित किया गया था। इसके अनुसार, वे देश के राष्ट्रपति के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं। यह एक सम्माननीय पद होने के साथ-साथ उपराष्ट्रपति द्वारा किए गए कार्य देश के नागरिकों के लिए प्रेरणास्त्रोत भी होते हैं।
उपराष्ट्रपति की भूमिका न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण है। उन्हें संसद के नायिका द्वारा चुना जाता है और उनका कार्य देश की विकास और सामाजिक सुधार की दिशा में होता है। वे संसद के उपसभा के सभी कार्यों में भाग लेते हैं और उनके नेतृत्व में सभी सदस्यों का सहयोग होता है।
उपराष्ट्रपति की भूमिका देश के संविधान और संरचना के अनुसार उन्हें विभिन्न कार्यों का आदान-प्रदान करने का अधिकार होता है। उन्हें संसद में सांसदों के बीच विवादों को सुलझाने, कानूनों को मन्यता देने, और देश की नीतियों के निर्धारण में मदद करने का महत्वपूर्ण कार्य होता है।
उपराष्ट्रपति के पद की भूमिका उनके द्वारा निभाए गए कार्यों के माध्यम से स्पष्ट रूप से प्रकट होती है। वे देश के विकास, सामाजिक सुधार, और सामान्य जनता के हित में प्रतिबद्ध रहते हैं और देश के नागरिकों के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं।
इस प्रकार, उपराष्ट्रपति के पद की भूमिका व्यापक और महत्वपूर्ण होती है, और उनके द्वारा निभाए गए कार्य देश के प्रगति और सामृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
भारत के उपराष्ट्रपति के कार्य
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद गर्वन्वित और महत्वपूर्ण होता है, और उनका कार्यक्षेत्र व्यापक होता है। वे देश की समृद्धि और विकास की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहते हैं।
1. नेतृत्व और सहयोग
उपराष्ट्रपति द्वारा संसद के उपसभा में नेतृत्व और सहयोग प्रदान किया जाता है। वे सभी सदस्यों के मतभेदों को समझते हैं और सामाजिक सुधार और विकास के लिए मिलकर काम करते हैं। उनका योगदान न केवल संसद के काम में होता है, बल्कि उन्होंने देश भर में विभिन्न क्षेत्रों में भी सुचारु परिवर्तन की दिशा में मार्गदर्शन किया है।
2. शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान
उपराष्ट्रपति के कार्यक्षेत्र में शिक्षा और विज्ञान के महत्वपूर्ण मुद्दे शामिल होते हैं। वे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के लिए अपने समय और संसाधनों का प्रयोग करते हैं और छात्रों के उच्चतम शिक्षा के प्रति प्रोत्साहन देते हैं। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवाचारों की संवर्धना के लिए भी प्रेरित करते हैं।
3. सामाजिक न्याय और समृद्धि
उपराष्ट्रपति का कार्यक्षेत्र सामाजिक न्याय और समृद्धि की दिशा में भी व्यापक होता है। वे देश के अल्पसंख्यकों, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों, और दुर्बलों के हकों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। उन्होंने गरीबी और असहमति से पीड़ित व्यक्तियों के लिए आवास और आर्थिक सहायता की दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाएं संचालित की है।
उपराष्ट्रपति द्वारा देश के विकास और सामृद्धि में किए गए कार्यों के आधार पर उन्हें गर्व होना चाहिए। उनका संघर्ष देश के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए निरंतर जारी रहता है और उनका प्रयास देश के सभी नागरिकों के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
भारत के उपराष्ट्रपति के योगदान
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति भारतीय गणराज्य के सबसे उच्च नागरिक पदों में से एक पद को संभालते हैं और उनके योगदान देश की उन्नति और समृद्धि में महत्वपूर्ण होता है। उनके प्रयासों के माध्यम से वे देश के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास करते हैं।
1. सामाजिक सुधार
उपराष्ट्रपति के योगदान का महत्वपूर्ण हिस्सा सामाजिक सुधार के क्षेत्र में होता है। वे देश के अल्पसंख्यकों, असहमति से पीड़ित वर्गों, और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए व्यक्तियों के हकों की रक्षा करने के लिए संघर्ष करते हैं। उनके प्रेरणास्त्रोत होने के कारण, आवश्यकताओं की पहचान होती है और उन्हें आवश्यक सहायता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
2. शिक्षा और विज्ञान में योगदान
उपराष्ट्रपति का योगदान शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण होता है। वे शिक्षा के माध्यम से देश के युवा पीढ़ी को प्रेरित करते हैं और उन्हें उच्चतम शिक्षा के माध्यम से अध्ययन करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए उत्कृष्टता स्तरों की प्रोत्साहन देते हैं और नवाचारों की प्रोत्साहन करते हैं।
3. सांस्कृतिक संरक्षण
उपराष्ट्रपति के योगदान में सांस्कृतिक संरक्षण का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है। वे देश की विविधता में सांस्कृतिक धरोहर की महत्वपूर्णता को समझते हैं और उसे सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं। उनका प्रयास होता है कि देश की सांस्कृतिक परंपराओं को आगे बढ़ावा दिया जाए और नवयुवकों को उन्हें समझने और समर्थन करने का प्रेरणास्त्रोत प्रदान किया जाए।
4. समाज में जागरूकता
उपराष्ट्रपति का योगदान समाज में जागरूकता फैलाने के लिए भी होता है। वे विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाते हैं और लोगों को उन मुद्दों के प्रति जागरूक करते हैं। उनके प्रेरणास्त्रोत होने के कारण, लोग अपने समाज में सुधार और परिवर्तन के लिए प्रेरित होते हैं और समृद्धि की दिशा में प्रयास करते हैं।
उपराष्ट्रपति के योगदान देश की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, और सांस्कृतिक स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप देश की प्रगति और समृद्धि में वृद्धि होती है और उनका योगदान देश के नागरिकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनता है।
भारत के उपराष्ट्रपति द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
प्रत्येक उप राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष निम्नलिखित प्ररूप में शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा, अर्थात्: — ईश्वर की शपथ लेता हूँ
मैं, अमुक ———————— कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञा करता हूँ, श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूँगा।
राष्ट्रपति के पद में आकस्मिक रिक्ति के दौरान या उसकी गैरहाजरी में उपराष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में काम करना या उसके कृत्यों का निर्वहन
(1) राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या किसी दूसरी वजह से उसके पद में हुई रिक्ति की हालत में उपराष्ट्रपति उस तारीख तक राष्ट्रपति के रूप में काम करेगा जिस तारीख को ऐसी रिक्ति को भरने के लिए नया राष्ट्रपति अपना पद ग्रहण करता है।
(2) जब राष्ट्रपति अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य किसी वजह से अपने कृत्यों का निर्वहन करने में असमर्थ है, तब उपराष्ट्रपति उस तारीख तक उसके कृत्यों का निर्वहन करेगा जिस तारीख को राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को फिर से संभालता है।
उपराष्ट्रपति को उस अवधि के दौरान और उस अवधि के संबंध में, जब वह राष्ट्रपति के रूप में इस प्रकार कार्य कर रहा है या उसके कृत्यों का निर्वहन कर रहा है, राष्ट्रपति की सभी शक्तियाँ और उन्मुक्तियाँ होंगी तथा वह ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का जो संसद, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस निमित्त इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसी उपलब्धियों, भत्तों और विशेषाधिकारों का, जो दूसरी अनुसूची में विनिर्दिष्ट हैं, हकदार होगा।
भारत के उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
(1) उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होते है।
(2) उपराष्ट्रपति संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं होते है और यदि संसद के किसी सदन का या किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य उपराष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि उसने उस सदन में अपना स्थान उपराष्ट्रपति के रूप में अपने पद ग्रहण की तारीख से खली कर दिया है।
(3) कोई व्यक्ति उप राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र तभी होगा जब वह:-
(a) भारत का नागरिक है, (b) पैंतीस वर्ष की आयु पूरी कर चुका है और (c) राज्य सभा का सदस्य निर्वाचित होने के लिए अर्हित है।
(4) कोई व्यक्ति, जो भारत सरकार के या किसी राज्य की सरकार के अधीन या उक्त सरकारों में से किसी के नियंत्रण में किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकारी के अधीन कोई लाभ का पद धारण करता है, उप राष्ट्रपति निर्वाचित होने का पात्र नहीं होंगे।
भारत के उपराष्ट्रपति की पदावधि
(1) उपराष्ट्रपति अपने पद ग्रहण की तारीख से पांच वर्ष की अवधि तक पद धारण करते है: लेकिन –
(a) उप राष्ट्रपति, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा;
(b) उपराष्ट्रपति, राज्य सभा के ऐसे संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा जिसे राज्य सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत ने पारित किया है और जिससे लोकसभा सहमत है; किंतु इस खंड के प्रयोजन के लिए कई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो;
(c) उपराष्ट्रपति, अपने पद की अवधि समाप्त हो जाने पर भी, तब तक पद धारण करता रहेगा जब तक उसका उत्तराधिकारी अपना पद ग्रहण नहीं कर लेता है।
उपराष्ट्रपति के पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने का समय और आकस्मिक रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति की पदावधि:-
(1) उपराष्ट्रपति की पदावधि की समाप्ति से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, पदावधि की समाप्ति से पहले ही पूर्ण कर लिया जाता है।
(2) उप राष्ट्रपति की मृत्यु, पदत्याग या पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई उसके पद में रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन, रिक्ति होने के पश्चात् यथाशीघ्र किया जाता है और रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचित व्यक्ति, अनुच्छेद 67 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, अपने पद ग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष की पूरी अवधि तक पद धारण करने का हकदार होते है।
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FAQs भारत के उपराष्ट्रपति से सम्बंधित
प्रश्न 1. उपराष्ट्रपति का कार्यकाल कितना हो सकता है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।
प्रश्न 2. उपराष्ट्रपति का दूसरा शब्द क्या है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति को “वाइस प्रेसिडेंट” भी कहते हैं।
प्रश्न 3. उपराष्ट्रपति का मतलब क्या होता है?
उत्तर: “उपराष्ट्रपति” का मतलब होता है – राष्ट्रपति के सहायक।
प्रश्न 4. उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव कौन ला सकता है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा द्वारा लाया जा सकता है।
प्रश्न 5. उपराष्ट्रपति से बड़ा कौन होता है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति से बड़ा राष्ट्रपति होता है।
प्रश्न 6. भारत का उपराष्ट्रपति कब बना?
उत्तर: भारत का पहला उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को 1952 में बनाया था।
प्रश्न 7. भारत का दूसरा उपराष्ट्रपति कौन है?
उत्तर: भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति जाकिर हुसैन थे।
प्रश्न 8. भारत का दूसरा नागरिक कौन होता है?
उत्तर: भारत के दूसरे नागरिक उपराष्ट्रपति होते हैं।
प्रश्न 9. भारत के उपराष्ट्रपति अभी कौन है?
उत्तर: वर्तमान में, भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी हैं।
प्रश्न 10. भारत के उपराष्ट्रपति कहां रहते हैं?
उत्तर: भारत के उपराष्ट्रपति निवास स्थान के रूप में राष्ट्रपति भवन में निवास करते हैं।
प्रश्न 11. भारत के उपराष्ट्रपति को कौन हटा सकता है?
उत्तर: भारत के उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सदस्य बहुमत से हटा सकते हैं।
प्रश्न 12. भारत के पहले उपराष्ट्रपति का नाम क्या है?
उत्तर: भारत के पहले उपराष्ट्रपति का नाम डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन था।
प्रश्न 13. क्या उपराष्ट्रपति को सीधा जनता द्वारा चुना जाता है?
उत्तर: नहीं, उपराष्ट्रपति को निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं चुना जाता है, बल्कि उन्हें राष्ट्रपति के साथ संसद के सदस्यों द्वारा चुना जाता है।
प्रश्न 14. क्या उपराष्ट्रपति को फिर से चुना जा सकता है?
उत्तर: हां, उपराष्ट्रपति को एक बार के बाद फिर से चुना जा सकता है।
प्रश्न 15. उपराष्ट्रपति की क्या प्राथमिकताएं होती हैं?
उत्तर: उपराष्ट्रपति की प्राथमिकताएं राज्यसभा के कार्यों को संचालित करना और संविधानिक दिशा निर्देश देना होती है।
प्रश्न 16. उपराष्ट्रपति की सैलरी कितनी होती है?
उत्तर: वर्तमान में, उपराष्ट्रपति की मासिक सैलरी लगभग 4 लाख रुपये है।
प्रश्न 17. उपराष्ट्रपति का क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व क्या होता है?
उत्तर: उपराष्ट्रपति का क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व विशेष रूप से भारतीय राष्ट्रपति के अवकाश के समय राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वाह करने में होता है।
निष्कर्ष
देश के राजनीतिक परिदृश्य को समझने के लिए भारत के वर्तमान उपराष्ट्रपति को जानना आवश्यक है। हमें उम्मीद है कि आपको यह जानकारी मूल्यवान और जानकारीपूर्ण लगी होगी।
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