भारत सरकार के कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए क्या कानूनी प्रावधान है?

भारत सरकार के कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए क्या कानूनी प्रावधान है?

कन्या भ्रूण हत्या भ्रूण के लिंग का पता लगाने और अगर यह एक लड़की है तो गर्भपात कराने की प्रक्रिया को कहते है। हालांकि यह गैरकानूनी है। कुछ समुदाय हैं जो कन्या भ्रूण हत्या का अभ्यास करते हैं – एक बार जन्म लेने के बाद लड़की को मारने की प्रथा भी परचलित थी।

इस तथ्य को 2001 की जनगणना के निष्कर्षों से उजागर किया गया है जो बताता है कि इस देश में हर 1000 पुरुषों के लिए केवल 933 महिलाएं हैं। इसके अलावा, जनगणना (2011) के आंकड़ों ने चाइल्ड सेक्स रेशियो (CSR) में एक महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई, जिसमे  0 से 6 वर्ष के बीच के प्रत्येक 1000 लड़कों के लिए लड़कियों की संख्या मात्र 918 रह गई थी। जबकि 1961 में यह अनुपात 976 थी।

लिंगानुपात में गिरावट का मतलब है कि हम सिर्फ लड़कियों को मानवाधिकारों से ही वंचित नहीं कर रहे हैं, हम उन्हें उनके जीने के अधिकार से भी वंचित कर रहे हैं।

भ्रूण हत्या

भारत सरकार ने कन्या भ्रूण हत्या पर रोकथाम के उद्देश्य से प्रसव पूर्व निदान तकनीक के लिए 1994 में एक अधिनियम बनाया। इस अधिनियम के अनुसार भ्रूण हत्या व लिंग अनुपात के बढ़ते ग्राफ को कम करने के लिए कुछ नियम लागू किए हैं, जो कि निम्न अनुसार हैं:

  • गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जाँच करना या करवाना।
  • शब्दों या इशारों से गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग के बारे में बताना या मालूम करना।
  • गर्भ में पल रहे बच्चे के लिंग की जाँच कराने का विज्ञापन देना।
  • गर्भवती महिला को उसके गर्भ में पल रहे बच्चें के लिंग के बारे में जानने के लिए उकसाना गैर कानूनी है।
  • कोई भी व्यक्ति रजिस्टे्रशन करवाएँ बिना प्रसव पूर्व निदान तकनीक(पी.एन.डी.टी.) अर्थात अल्ट्रासाउंड इत्यादि मशीनों का प्रयोग नहीं कर सकता।
  • जाँच केंद्र के मुख्य स्थान पर यह लिखवाना अनिवार्य है कि यहाँ पर भ्रूण के लिंग (सैक्स) की जाँच नहीं की जाती, यह कानूनी अपराध है।
  • कोई भी व्यक्तिअपने घर पर भ्रूण के लिंग की जाँच के लिए किसी भी तकनीक का प्रयोग नहीं करेगा व इसके साथ ही कोई व्यक्ति लिंग जाँचने के लिए मशीनों का प्रयोग नहीं करेगा।
  • गर्भवती महिला को उसके परिजनों या अन्य द्वारा लिंग जाँचने के लिए प्रेरित करना आदि भू्रण हत्या को बढ़ावा देने वाली अनेक बातें इस एक्ट में शामिल की गई हैं।

उक्त अधिनियम के तहत पहली बार पकड़े जाने पर तीन वर्ष की कैद व पचास हजार रूपये तक का जुर्माना हो सकता है।

दूसरी बार पकड़े जाने पर पाँच वर्ष कैद व एक लाख रूपये का जुर्माना हो सकता है। लिंग जाँच करने वाले क्लीनिक का रजिस्टे्रशन रद कर दिया जाता है।

भारत सरकार के कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए कानूनी प्रावधान

गर्भपात का कानून (गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम, 1971)

गर्भवती स्त्री कानूनी तौर पर गर्भपात केवल निम्नलिखित स्थितियों में करवा सकती है:-

  1. जब गर्भ की वजह से महिला की जान को खतरा हो।
  2. महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को खतरा हो।
  3. गर्भ बलात्कार के कारण ठहरा हो।
  4. बच्चा गंभीर रूञ्प से विकलांग या अपाहिज पैदा हो सकता हो।
  5. महिला या पुरुष द्वारा अपनाया गया कोई भी परिवार नियोजन का साधन असफल रहा हो।

यदि इनमें से कोई भी स्थिति मौजूद हो तो गर्भवती स्त्री एक डॉक्टर की सलाह से बारह हफ्तों तक गर्भपात करवा सकती है। बारह हफ्ते से ज्यादा तक बीस हफ्ते (पाँच महीने) से कम गर्भ को गिरवाने के लिए दो डॉक्टर की सलाह लेना जरुरी है।

  • बीस हफ्तों के बाद गर्भपात नहीं करवाया जा सकता है।
  • गर्भवती स्त्री से जबर्दस्ती गर्भपात करवाना अपराध है।
गर्भपात केवल सरकारी अस्पताल या निजी चिकित्सा केंद्र जहां पर फार्म बी लगा हो, में सिर्फ रजिस्ट्रीकृत डॉक्टर द्वारा ही करवाया जा सकता है। 

धारा 313: स्त्री की सम्मति के बिना गर्भपात कारित करने के बारे में कहा गया है कि इस प्रकार से गर्भपात करवाने वाले को आजीवन कारावास या जुर्माने से भी दण्डित किया जा सकता है। 

धारा 314: धारा 314 के अंतर्गत बताया गया है कि गर्भपात कारित करने के आशय से किये गए कार्यों द्वारा कारित मृत्यु में दस वर्ष का कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है और यदि इस प्रकार का गर्भपात स्त्री की सहमति के बिना किया गया है तो कारावास आजीवन का होगा। 

धारा 315: धारा 315 के अंतर्गत बताया गया है कि शिशु को जीवित पैदा होने से रोकने या जन्म के पश्चात्‌ उसकी मृत्यु कारित करने के आशय से किया गया कार्य से सम्बन्धित यदि कोई अपराध होता है, तो इस प्रकार के कार्य करने वाले को दस वर्ष की सजा या जुर्माना दोनों से दण्डित किया जा सकता है।

छोटे बच्चों के लिए सामान्य ज्ञान के प्रश्न उत्तर

निष्कर्ष:

कन्या भ्रूण हत्या आमतौर पर मानवता और विशेष रूप से समूची स्त्री जाति के विरुद्ध सबसे जघन्य अपराध है। बेटे की इच्छा परिवार नियोजन के छोटे परिवार की संकल्पना के साथ जुडती है और दहेज़ की प्रथा ने ऐसी स्थिति को जन्म दिया है जहाँ बेटी का जन्म किसी भी कीमत पर रोका जाता है।

इसलिए समाज के अगुआ लोग माँ के गर्भ में ही कन्या की हत्या करने का सबसे गंभीर अपराध करते हैं। इस तरह के अनाचार ने मानवाधिकार, वैज्ञानिक तकनीक के उपयोग और दुरुपयोग की नैतिकता और लैंगिक भेदभाव के मुद्दों को जन्म दिया है।

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