गुर्जर जनसंख्या । भारत में गुर्जर जाति का इतिहास । Gurjar या गुज्जर गोत्र

गुर्जर या गुज्जर अथवा Gurjar मुख्यत: उत्तर भारत, पाकिस्तान और अफ़्ग़ानिस्तान में बसे गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का गुजरात राज्य, पाकिस्तानी पंजाब का गुजरात ज़िला और गुजराँवाला ज़िला और रावलपिंडी ज़िले का गूजर ख़ान शहर।

गुर्जर

भारत में गुर्जर जाति का इतिहास

आज से 23 लाख साल पहले पुश्कर में भगवान ब्रह्रा जी ने गाय चरा रही गुर्जर बाला गायत्री माता से यज्ञ के समय विवाह रचाया था। इसका वर्णन ब्रह्रा और विश्णु पुराण में स्पश्ट है। इनका उदगम रुस के पास वर्तमान जार्जिया में भी बताया जाता है। जिसका फारसी और तुर्की नाम गोर्जिया है।

तुर्की और मध्य एशिया के तुर्क क्षेत्र में गुर्जरों की ही उपजाति कूचर है और ईरान से लेकर अफगानिस्तान और पाकिस्तानी एवं भारतीय इलाकों तक गुर्जरों के नाम से जुडे कई स्थल है। पहले दक्षिण राजस्थान के भीनमाल और गुजरात के भरुच में छोटे गुर्जर राज्य उभरे। कालांतर में 7वीं-8वी सदी में पश्चिम भारत में गुर्जर-प्रतिहार सामा्रज्य का उदय हुआ।

प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गुजराती लेखक और इतिहासकार कन्हैयालाल माणिकलाल मुंषी, जो स्वयं गुज्जर थे इनके के अनुसार परिहार,परमार,चैहान और सौलंकी रातपूत गुर्जर-प्रतिहारों के ही वषंज हैं। कहतें हैं कई शाशक गुर्जर वंष तो राजपूत कहलाने लगे और उनके पुरोहित एवं आचार्य ब्रह्राण हो गए।

गुर्जर समुदाय के काफी लोग अफगानिस्ता,पाकिस्तान, भारतीय के पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल, उतराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेष में बेस हुए है। अब भी गुज्जर किसी न किसी रुप में गुर्जर नाम धारण किए हुए हैं और जनजातीय या पशु-पालक या सुदूर हैसियत के हैं।

जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में मुस्लिम गुर्जर – बकरवालों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्राप्त है और उतराखण्ड में वन – गुर्जर पाए जातें। गुजरात में लेवा कुनबी समुदाय का एक हिस्सा मूलतः गुज्जर है।

भारत के प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल इसी समुदाय के थे। पूर्व मध्यकाल में गुर्जरों के नायक राजा भोज बताए जातें हैं। मध्य राजस्थान में भीम के पास आसींद में सवाई भेज का एक विशाल मंदिर है जो की पूरे भारत देश के गुर्जरों का तीर्थ स्थल है। इस समुदाय के लोगों के देवता देवनारायण हैं। जिनके मंदिरों की निशानी रंग-बिरंगी पतकाएँ और दीवारों पर उत्कीर्ण सर्प हैं।

परम्परागत रुप में वीर रस का ढेर सारा लोककाव्य जीवित रखा है। बगडावत इनका प्रसिद्ध लोककाव्य है। ऐतिहासिक गुर्जर व्यक्तित्वों में शिवजी के सेनापति प्रतापराव गुर्जर और उनके नौसेनाध्यक्ष सिधोजी गुर्जर तथा सिख महाराजा रणजीत सिहँ के सेनापति हरिसिहँ नलवा भी प्रसिद्ध रहे है।

गुज्जर या गुर्जर गोत्र

गुर्जर विकास संगठन का दावा है कि गुर्जरो की आबादी भारत में करीब 13 करोड और पाकिस्तान में 2 करोड हैं। दौसा से कांग्रेस सासंद सचिन पायलट कहतें हैं आमतौर पर हरियाणा, दिल्ली, और उत्तर प्रदेश के सम्पन्न गुज्जर को देखकर लोग देश भर के गुर्जरो को वैसा ही मान लेते हैं लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के गुर्जर सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रुप से बेहद पिछडे हैं।‘‘

उत्तर प्रदेश के गुर्जरो की आबादी करीब पाँच फीसदी मानी जाती है जो ज्यादातर इस राज्य के पश्चिमी जिलो में केन्द्रित है। राजस्थान में 1931 की जनगणना के मुताबीक गुर्जरो ( Gurjar ) की तादाद 11 फीसदी से ज्यादा थी। ये उत्तर-पष्चिमी सीमांत क्षेत्र को छोडकर लगभग पूरे राज्य में फैले हैं और आमतौर पर पिछडे हैं।

मध्य प्रदेश में गुर्जरों की सबसे ज्यादा आबादी वाले क्षेत्र ग्वालियर- चंबल संभाग है। चंबल क्षेत्र में बागी दस्याओं की परंपरा में भी गुर्जर आगे रहे हैं। मोहर सिहँ मलखाल सिहँ निर्भय गुर्जर बाबू Gurjar जैसे कई नाम गिनाए जा सकते हैं। मालवा और निमाड में भी खासी गुर्जर आबादी है।

गुर्जर जाति के भाषा

गुर्जरों के भाषा गोजरी है जो की राजस्थानी, गुजराती के करीब है। यह पश्चिमोत्तर भारत से लेकर पाकिस्तान,अफगानिस्तान तक बोली जाती है। हालंकि गुर्जर ( Gurjar ) जिस इलाके मे रहते है। उस इलाके की भाषा, बोली भी जानते हैं।

गुर्जर के पूर्व की राजनितिक दशा

सन 1857 में अंग्रेजों का विरोध गुर्जरों को महंगा पडा। भीशण दमन के बाद उन्हें ब्रिटिश काले के कानून की वजह से जरायमपेशा जनजाति का कलंक माथे पर ढोना पडा। सरकारी नौकारियों में गुज्जर की नियुक्ति पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गइ।

अंग्रेजो को लगान न देने की कीमत उन्हें अपनी जड और जमीन से बेदखल होकर चुकानी पडी। इसने गुर्जरों को आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक मुख्य धारा से अलग-थलग कर दिया। साक्षरता और शिक्षा में वह पिछडते चले गए।

जब 1947 में देश आजाद हुआ तब तक राजनिति में उतर भारत के गुर्जरों की भागीदारी न के बराबर थी। सरदार पटेल गुजरात से थे और उनकी पहचान राष्ट्रीय नेता की थी। सन 1952 के पहले संसदीय चुनाव में एक भी गुर्जर लोकसभा में चुनकर नहीं आ सका।

जबकि उत्तर प्रदेश में 9, राजस्थान में 13, मध्य प्रदेश में 12, गुजरात में 9, जम्मू-कश्मीर में 3, हरियाणा में 2, पंजाब में 2, और दिल्ली में 3, महाराष्टर में 2 लोकसभा सीटों पर गुर्जर मतदाताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। यह आंकडे आउटलुक पत्रिका के सर्वे के हैं।

प्रथम गृहमंत्री सरदार पटेल ने 1951 में अंग्रेजों के काले ‘जरायमपेशा कौम कानून‘ को खत्म करके उसमें अधिसूचित गुर्जर, मीणा और अन्य जातियों को गैर-अनुसूचित जनजाति (डीनोटिफाइड ट्राइब) का दर्जा दे दिया और नागरिक बहाल कर दिए समाज के विद्धान बताते हैं कि इन जातियों को सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए सरदार पटेल ने लाकोर कमेटी और अयंकार कमेटी का गठन किया। दोनो समीतियों ने अपनी रिपोर्ट में गैर-अधिसूचित जनजातियों को अनुसूचित जाति/जनजाति की सुविधाएँ देने की सिफारिश की।

विद्धान कहते हैं कि सन 1952 मे सरदार पटेल के निधन के बाद से दोनो रिपोर्ट सरकारी रिकार्ड में धूल खा रही है। हालाकि समाज सेवी इस मामले को 1972 में सुप्रीम कोर्ट ले गए जिसके बाद केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों से गुर्जरों की स्थिति पर रिपोर्ट मांगी लेकिन किसी भी राज्य ने रिपोर्ट नहीं भेजी।

गुर्जर के वर्तमान की राजनितिक दशा

राजनीति की मुख्य धारा में गुर्जर कभी संगठित राजनीतिक इकाई के रुप में उस तरह स्थापित नहीं हो पाए जिस तरह कई अन्य जातियाँ हुई। सन 1952 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में सिर्फ दो गुर्जर विधायक रामचन्द्र विकल और महंत जगन्नाथदास जीत कर आए। जाटों और यादवों के कई राष्ट्रीय नेताओं की तुलना में गुज्जर में सिर्फ राजेश पायलट को ही राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल सकीं।

गुर्जरो को राजनीतिक रुप से संगठित करने की पहल चरण सिहँ ने अपनी किसान राजनीति के अजगर‘ फार्मूले में अहीर और जाटो के बाद गुज्ज को वरीयता देकर दी। चैधरी चरण सिहँ ने रामचन्द्र विकल को उत्तर प्रदेष में मंत्री बनाया और नारायण सिहँ को बनारसी दास सरकार में उप मुख्यमंत्री बनवाया हालाकि विकल बाद में काग्रेस की ओर से चरण सिहँ के खिलाफ लडे।

देश के प्रमुख गुर्जर राजनीतिक नेताओं में हरियाणा के अवतार सिहँ भडाना, उत्तर प्रदेष के समाजवादी नेता रामषरण दास एवं युवा सांसद चौधरी मुनव्वर हसन राजस्थान के सांसद सचिन पायलट, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल, मध्य प्रदेष के गुर्जर नेता हुकुम सिहँ कराडा, ताराचंद पटेल, दिल्ली के एनसीपी नेता रामवीर सिह विधूडी एवं चौधरी शीशपाल सिहँ विधूडी, महाराष्ट्र के अन्ना के विखे पाटिल आदि हैं।

जम्मू-कश्मीर में चैधरी असलम साद, बसीर अहमद एवं शेख अब्दुला की पत्नी बेगम अकबर जहान खुद गुर्जर थीं और राजनीति में बेहद सक्रिय रहीं। उन्हे कश्मीर में ‘मादरे मेहरबां के नाम से भी जाना जाता है। कांग्रेस में इंदिरा गांधी ने 70 के दशक में गुर्जरो की ताकत पहचानी।

उन्होने 1980 के लोकसभा चुनावों में राजेश पायलट को राजस्थान के गुर्जर – जाट बहुल भरतपुर से संसद में भेजकर उन्हें देश की गुर्जर राजनीति की धुरी बना दिया।

गुर्जर के आर्थिक दशा

पिछडा वर्ग में शामिल होने के बावजूद शिक्षा, प्रशासन और पुंजी जगत में गुर्जरों ( Gurjar ) की हिस्सेदारी नगण्य हैं। मंडल आयोग की सिफारिशे लागू होने के 15 साल बाद सिर्फ तीन गुज्जर भारतीय प्रशासनिक सेवा में आए हैं। जबकि आईपीएस सिर्फ पाँच हैं जो मंडल से पहले बने थे।

बैंसला की बेटी गुर्जरों में पहली प्रथम श्रेणी महिला अधिकारी हैं। जो आयकर विभाग में तैनात हैं। सेना में गुर्जरो की भागीदरी ठीक-ठाक है। संपन्न गुर्जरो की श्रेणियों में पहली उनकी है जिनके पूर्वज पूर्व रियासतों से संबद्ध रहे हैं।

इनके बाद वे हैं जो अंग्रेजों द्धारा गुर्जरों को जरायम पेशा कौम की सूची में डाले जाने के बाद गैरकानूनी तरीकों से पैसा कमाकर संपन्न हुए।

फिर वे गुज्जर हैं जिन्होने दूध-मावा व्यवसाय से खुद को समृद्ध किया। नए संपन्न श्रेणियों की आबादी 20 फीसदी ही है। शेष गुज्जर गरीबी की रेखा के आसपास हैं। वैसे पाकिस्तान में गुर्जरों की हालत अच्छी है। पाकिस्तान में पूर्व राष्ट्रपति फजल इलाही और तेज गेंदबाज शोएब अख्तर जैसी गुज्जर ( Gurjar ) शख्सियतें शिखर पर रहीं है।

भारत में गुर्जर की जनसंख्या (लगभग)

1) जम्मू कश्मीर : 2 लाख + 4 लाख
2) पंजाब : 9 लाख
3) हरियाणा : 14 लाख
4) राजस्थान : 78 लाख
5) गुजरात : 60 लाख
6) महाराष्ट्र : 45 लाख
7) गोवा : 5 लाख
8) कर्णाटक : 45 लाख
9) केरल : 12 लाख
10) तमिलनाडु : 36 लाख
11) आँध्रप्रदेश : 24 लाख
12) छत्तीसगढ़ : 24 लाख
13) ओद्दिसा : 37 लाख
14) झारखण्ड : 12 लाख
15) बिहार : 90 लाख
16) पश्चिम बंगाल : 18 लाख
17) मध्य प्रदेश : 42 लाख
18) उत्तर प्रदेश : 200 लाख (2 करोड़)
19) उत्तराखंड : 20 लाख
20) हिमाचल : 45 लाख
21) सिक्किम : 1 लाख
22) असाम : 10 लाख
23) मिजोरम : 1.5 लाख
24) अरुणाचल : 1 लाख
25) नागालैंड : 2 लाख
26) मणिपुर : 7 लाख
27) मेघालय : 9 लाख
28) त्रिपुरा : 2 लाख

गुर्जर की जनसंख्या एक नजर में

सबसे ज्यादा Gurjar वाला राज्य : उत्तर प्रदेश

सबसे कम Gurjar वाला राज्य : सिक्किम

सबसे ज्यादा Gurjar राजनेतिक वर्चस्व : पश्चिम बंगाल

सबसे ज्यादा % Gurjar वाला राज्य : राजसथान (जनसँख्या के लगभग 20 %)

साक्षर Gurjar राज्य : केरल और हिमाचल

सबसे ज्यादा अच्छी आर्थिक स्तिथि में Gurjar : आसाम

सबसे ज्यादा Gurjar विधायक वाला राज्य : उत्तर प्रदेश

गुर्जर जनसंख्या UP

हाल के वर्षों में गुर्जर आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिसमें समुदाय विकास और विकास के मजबूत संकेत दिखा रहा है। यह जनजाति के लिए अच्छी खबर है, जो लंबे समय से गरीबी और भेदभाव जैसे मुद्दों से जूझ रही है।

जनसंख्या में वृद्धि को विभिन्न कारकों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसमें बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, बेहतर शिक्षा के अवसर और जीवन स्तर में समग्र सुधार शामिल हैं।

अग्रवाल गोत्र क्या है? प्रमुख गोत्र सूची, महत्व

निष्कर्ष

गुर्जर जनसंख्या भारत में आबादी एक लंबा और समृद्ध इतिहास वाला एक अनूठा और विविध समुदाय है। वे भारतीय समाज का एक अभिन्न हिस्सा हैं और देश की अर्थव्यवस्था, संस्कृति और विरासत में उनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे उनकी ज़रूरतें भी बढ़ती हैं, उन्हें शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल जैसे संसाधनों तक बेहतर पहुँच प्रदान करने के लिए विभिन्न स्तरों पर सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है।

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5 Comments

  1. p.s.gujjar Rajasthan says:

    Gurjar jaati hamesha desh ki Seva Karti Rahi गुर्जर जाति हमेशा देश के लिए जान देती रही

    1. bhai ab hame pta chal gya hai apne gurjar itihas ke bare m ab ham sabke samne bol sakte h ki hame kaise kaise samasyae jailni padi thi baviysha kaal m thank you brother 🙏🙏

  2. Murari lal gurjar says:

    Gurjar jaati hamesha desh ki Seva Karti Rahi

    1. I am sorry for the inconvenience. Can explain something special about GURJAR samraath mhir bhoj so we can add in our blog post.

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